Thursday 21 January 2016

कोयल की व्यथा Hindi Kavita

Koyal Ki Vyatha





पिंजर में बंद कोयल की सुध लेगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?

गुण की थैली पूर्ण भरी
प्रशस्तियों की पोथी हो
निज प्रतिभा से जग में
चाहे वाहावाही होती हो
लेकिन पैरों में जब जंजीर गुलामी होती है
तब नरमी से तन मन के जख्म छुएगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?

कुछ आते है हाथ में लेके
तख्ती सत्य के दान की
कुछ लाते है हाथ में गोले
इच्छा ले पिंजर प्राण की
किंतु हाथ में ले समय का प्रतिदान पुराना
उसका दामन कर्मठता से पूर्ण भरेगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?

भर भर लोचन नीरों से
व्यथा गान आसान है
कठिन मगर जीवन में
धूमिल स्वप्न निर्माण है
पहली पंक्ति में आकर कंधे से मिलाकर कंधा
नव जीवन के सुन्दर नव स्वप्न बुनेगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?

- राम लखारा 'विपुल'

Wednesday 13 January 2016

परहित Hindi Poem

परहित


रात गगन में तारे  अगणित,
जड़वत  हो  अनजान  खड़े है,
छोटे  छोटे   दिखे   भले    पर
मन ही मन अभिमान बड़े है।

ऐसे  में   इन  सबका  अब  तो
सबक  सीखना     निश्चित  है
परहित   पाठ    पढा़ने        को
 सूरज   निकलना   निश्चित है।


- राम लखारा 'विपुल'

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