Tuesday 26 April 2016

नई सुबह - Poem

Hindi Poems


नई सुबह की राह में
बिछतें तारे रोज
जुगनू भी ज्योति लेकर
करते उसकी खोज

चांद भी आधा होता
कभी रहता पूरा
दिवस राजा बनने का
स्वप्न सदा अधूरा

लाख करे जोर पर
पहलें कहां मिलता है
तय समय पर ही नित्य
नया सूर्य खिलता है।

                 - राम लखारा विपुल

Monday 18 April 2016

कैसा अरे! श्रृंगार है

Love poems shayari
चित्र साभार -behance.net

जुल्फ के साये में हम 
              खो न जाए डर है यह
अधर अंकित तिल है 
                    मेरी थकन का घर है यह
सादगी है देह की 
                 जो रूप का सिरमौर है
सुन्दरी सुलोचना जिस-
               की ना उपमा और है
और मिलन होगा कहां 
                     अधर स्वंय अभिसार है
कैसा अरे! श्रृंगार है !
                     

                                                - राम लखारा विपुल

Friday 8 April 2016

हिन्दू नववर्ष 2073 की शुभकामनाएं

आज ईस्वी सन् का 8 अप्रैल है, वहीं एक साधारण सी तारीख। अप्रैल का आठवां दिन जो कल 9 हो जाएगा। लेकिन विक्रमी संवत् में आज एक खास तारीख है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत् 2073। जी हां इसी दिन को हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से नया वर्ष लगता है, और इस नव वर्ष का उत्सव केवल मानव नहीं बल्कि पूरा जगत मनाता है। कैसे? इस समय प्रकृति अपनी बांसती चुनर को ओढ रही होती है, जलवायु न गर्म होती है न शीत। पूरे भारतवर्ष में इसी दिन को हिन्दू नववर्ष, नवरात्रि प्रारंभ, चेटीचंड, गुड़ी पर्व अलग अलग रूप में मनाया जाता है। आप सभी मेरे प्रिय पाठकों को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की अनेकानेक शुभकामनाएं, आज के लिए मेरी एक छोटी कविता भी आपकों प्रस्तुत है-

यह साल नया कुछ ऐसा कर दे, जीवन में नित मौज रहे
खुशियों से झोली सबकी भरे , उमंग नवेली रोज रहे
हर रोज रहे पक्षी को पानी, रोज भूख को अन्न मिले
रोज ईद संग दीप जले और रोज होली के रंग मिले
मिले मानवता सजी धजी और बेटी का भी मान रहे
खेतीहरों की पीर मिटे और भारत भू जय गान रहे। 
                                                    - राम लखारा विपुल



Hindu New year Vikrami samwat Shayari

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