Saturday 27 December 2014

Hindi Muktak Poetry

                      तुझे चाहना तुझे पाना, यह मेरी ज़ुस्तज़ु अब है ,
                       मेरे दीवानेपन की भी थोड़ी सी गुफ्तगू अब है ,
                         बड़ा ही शोख चेहरा है तेरा ऐ हुस्न की रानी ,
                    जिधर फेरु नज़र अपनी वही बस तू ही तू अब है।
                                           -राम लखारा

Thursday 21 August 2014

नींव Neenv Short story in hindi


Writer- Ram Chandra lakhara
कमलेश अपने आॅफिस में एक आॅडिटर के रूप में काम करता था। आॅडिटर के रूप में वह एक ईमानदार व्यक्ति भी था। इसी कारण उसके ज्यादातर अधीनस्थ कर्मचारी जिनकी वह आॅडिट किया करता था, उससे चिढ़ते भी थें। बड़े कार्यालय में एकमात्र आॅडिटर होने के कारण हाजिरी रजिस्टर में उसका नाम अधिकारियों और बाबुओं के क्रम में सबसे नीचे लिखा होता था।
एक दिन उसके ही किसी सहकर्मचारी ने उसे नीचा दिखाने के इरादे से कहा कि- “अरे कमलेश! तुम इतने छोटे हो इस आॅफिस में कि तुम्हारा नाम हाजिरी रजिस्टर में सबसे नीचे लिखा हैं।”
कमलेष ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराकर कहा “नींव तो हमेशा मजबूत होनी चाहिए।”
उस साथी का चेहरा देखने लायक था।

 लेखक -रामचन्द्र लखारा
  

Monday 24 March 2014

काव्य गोष्ठी

विश्व कविता दिवस पर जिला पुस्तकालय में काव्य गोष्ठी में शामिल हुआ, कविता जीवन को कैसे प्रभावित करती और कैसे राजा महाराजा कवियो को संरक्षण देते थे इस पर चर्चा हुई . साथ ही कवियो ने अपनी कविताये भी सुनाई.

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Saturday 8 February 2014

मेरी शायरिया ……… shayaria........

मेरी शायरिया ………


 

१. विरह की इस शाम का एक खुबसूरत सवेरा हु
प्रेम की इस खान का एक सिरफिरा पहेरा हु
कलम के इस दीवाने के मुरीद होंगे लाखो मगर
मै कल भी सिर्फ तेरा था मैं आज भी सिर्फ तेरा हु।

२. दर्द न दर्द रहे गर हाथ में तेरा हाथ रहे
   हर दिन सुहाना हो गर वक्त से ऊपर तेरा साथ रहे।

३. प्रेम के इस समंदर में एक तुम ही मेरी आस हो
    ज़िन्दगी से हु दूर लेकिन तुम ही दिल के पास हो
    तेरे हर इम्तिहान को सर आँखों पर रखते है
    क्योकि तुम ही मेरी श्रद्धा हो तुम ही मेरा विश्वास हो।

४.  रग रग में है जो बिखरी वो खुशबु तुम्हारी है
     मैदान इ इश्क़ की बाज़ी इस दिल ने भी हारी है
     मुझे यु छोड़ जा बेशक भले पर भूल ना पाओगी
     तेरे हर शिकवे पर भारी ये मोहब्ब्त हमारी है।


                        रामचन्द्र लखारा 'सिणधरी'

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