1. वो यु ही खुद को होशियार समझते है,
इज्जत क्या मिली परवरदिगार समझते है,
हैसियत उनकी क्या है वे खुद भी जानते है,
हम तो सिर्फ उनको चौकीदार समझते है.
2. यु डराकर कब तक चलोगे जनाब,
हिम्मत तो कभी देगी जवाब,
हम तो कोई दूसरी राह चुन लेंगे,
फिर पूरोगे कैसे तुम अपने ख्वाब.
इज्जत क्या मिली परवरदिगार समझते है,
हैसियत उनकी क्या है वे खुद भी जानते है,
हम तो सिर्फ उनको चौकीदार समझते है.
2. यु डराकर कब तक चलोगे जनाब,
हिम्मत तो कभी देगी जवाब,
हम तो कोई दूसरी राह चुन लेंगे,
फिर पूरोगे कैसे तुम अपने ख्वाब.
Hi
ReplyDeleteGreat poem!
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