Monday 7 March 2016

महाशिवरात्रि पर्व

अनन्त में गूंजते स्वर का नाम है शिव। शिव वहीं जो सुंदर है, कल्याण मय और सत्य है। शिव वही जो विष पीता है। शिव वही जो जिसके सानिध्य में शत्रु भी मित्र हो जाते है, जैसे शिव के परिवार में चूहा, सर्प, मोर, सिंह परस्पर शत्रु होते हुए भी प्रेम भाव से साथ रहते है। देव बनना सरल है महादेव बनना दुष्कर, महादेव बनने के लिए जहर पीना पड़ता है और अमृत लुटाना पड़ता है। निर्माण और निर्वाण जिसके इशारों पर काम करते है वह शिव है। आज महाशिवरात्रि का पर्व आप सभी पाठकों और सुधिजनों के लिए मंगलकारी और शुभ हो। ऐसी मेरी शुभकामना है। आपके हृदय में शिव गूंजते रहे, बसते रहे और हंसते रहे।

Lord shiva images poetry

No comments:

Post a Comment

join us on facebook...