Saturday 8 February 2014

मेरी शायरिया ……… shayaria........

मेरी शायरिया ………


 

१. विरह की इस शाम का एक खुबसूरत सवेरा हु
प्रेम की इस खान का एक सिरफिरा पहेरा हु
कलम के इस दीवाने के मुरीद होंगे लाखो मगर
मै कल भी सिर्फ तेरा था मैं आज भी सिर्फ तेरा हु।

२. दर्द न दर्द रहे गर हाथ में तेरा हाथ रहे
   हर दिन सुहाना हो गर वक्त से ऊपर तेरा साथ रहे।

३. प्रेम के इस समंदर में एक तुम ही मेरी आस हो
    ज़िन्दगी से हु दूर लेकिन तुम ही दिल के पास हो
    तेरे हर इम्तिहान को सर आँखों पर रखते है
    क्योकि तुम ही मेरी श्रद्धा हो तुम ही मेरा विश्वास हो।

४.  रग रग में है जो बिखरी वो खुशबु तुम्हारी है
     मैदान इ इश्क़ की बाज़ी इस दिल ने भी हारी है
     मुझे यु छोड़ जा बेशक भले पर भूल ना पाओगी
     तेरे हर शिकवे पर भारी ये मोहब्ब्त हमारी है।


                        रामचन्द्र लखारा 'सिणधरी'

join us on facebook...