Wednesday 16 December 2015

दोहे (Hindi Dohe)

Ram Lakhara Vipul Poetry
अस्ताचल के सूर्य से, सब लेते मुंह फेर।
अपनों की या गैर की, परख करे अंधेर।।
- राम लखारा

वाणी का सब खेल है, अमरित औ विष दोय।
एक गैर अपना करै, दूजे दूरी होय।।
- राम लखारा

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