Wednesday, 7 December 2016
Thursday, 30 June 2016
समाज को समर्पित तीन मुक्तक
सौंपकर ज्योति प्रण की आओं मिलकर तम हटाए
साथ बैठे साथ गाए साथ मिलकर गम बटांए
समाज के विकास की बस इतनी सी है बात भर
एक कदम आप बढाओं एक कदम हम बढाए।
- कवि राम लखारा 'विपुल'
काल का विकराल पहिया हिम्मत से चलाना होगा
समाज के इस बाग को मेहनत से फलाना होगा
दिन दूनी और रात चैगुनी गति से गर बढ़ना है
मिलकर के हर घर में ज्ञान का दीप जलाना होगा।
- कवि राम लखारा 'विपुल'
मिल जुल कर हम खुशियों का नया जहान बना ले आओं
प्रेम स्नेह और दया भाव से नव खलिहान बना ले आओं
आओं मिलकर गले लगे और शिकवें सारे भूल जाए
भूल पुरानी बातें हम नया हिंदुस्तान बना ले आओं।
- कवि राम लखारा 'विपुल'
Sunday, 19 June 2016
सबसे बड़ा गिफ़्ट (Hindi Love Story)
रोहन थोड़े गर्म और कंजूस स्वभाव का व्यक्ति था। उसकी पत्नी लीना अपने पति के स्वभाव के विपरीत सौम्य और मृदु स्वभाव की थी। लेकिन दोनों प्यार से रहते थे।
शादी को तीन साल हो रहे थे। लीना अपने स्वभाव से पूरे परिवार को हंसी खुशी चलाती थी वरना केवल रोहन के स्वभाव के दम पर तो एक दिन भी गुजारना मुश्किल था।
'अरे लीना! क्या सोच रही हो?' रोहन ने लीना को सोच में डूबते देखकर कहा।
'हम्म्म्म्म! कुछ नहीं इट्स ओके। आई एम फाइन!' लीना अपना ध्यान तोड़ते हुए बोली।
'नहीं, नहीं। मुझे बताओं। वाट आर यू थिकिंग?' रोहन ने फिर जोर दिया।
'कुछ नहीं रोहन। मैं तो बस सामने उस पेड़ पर बैठे चिड़िया के जोड़े को देख रही थी। वह चिड़ा देखों चिड़िया के आस पास उड़ रहा है, प्यार से उसके सिर पर चोंच मार रहा है। दोनों में कितना प्यार है। है ना!' लीना ने कहा।
'अरे हां! दोनों कितने खुश लग रहे है। एक दूसरे के साथ।' रोहन ने लीना का साथ देते हुए कहा।
'एक औरत के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं होता रोहन कि उसे उसका पति प्यार करे, उसे खुश रखे। इन दोनों में मुझे अपना जीवन दिख रहा है, आपके साथ मैं कितनी खुश हूं। मैं भी उस चिड़िया के जैसे ही आपकों देख देख कर खुश होती रहती हूं। वी आर सच ए स्वीट कपल!' लीना लगभग चिड़िया के जैसे ही चहकते हुए बोली।
'अच्छा ऐसी बात है!' रोहन लीना की ऐसी बाते सुनकर उसके स्वभाव पर फिर से मुग्ध हो गया था। किस तरह लीना हर चीज में अच्छा ढूंढ लेती है।
'अरे मुझे आॅफिस जाने में देरी हो रही है। ओके! मैं चलता हूं।' रोहन ने मेज पर रखे हुए अपने टिफिन बाॅक्स को उठाते हुए कहा।
'ओके! ध्यान से जाना और टाइम पर घर आ जाना। आज तुम्हारी पसंद का खाना बनने वाला है।' लीना ने मुस्कुराहट के साथ रोहन को विदा करते हुए कहा।
रोहन अपनी कार से आॅफिस के लिए रवाना हो गया। आज सड़क पर जाम बहुत था। इसलिए रोहन को गाड़ी खड़ी करनी पड़ी।
रोज रोज होने वाले जाम पर खुन्नस खाकर रोहन स्टीयरिंग पर थपकी मारते हुए दाएं बाएं देखने लगा। तभी उसकी नजर पास ही के पेड़ पर बैठे एक पक्षी के जोड़े पर पड़ गई। यह देखकर उसे सुबह वाली बात और अपनी पत्नी लीना की याद आ गई।
"लीना कितनी मासूम और प्यारे स्वभाव की है। वह हर बात में अच्छा देखती है। मुझ जैसे अजीब स्वभाव वाले व्यक्ति को भी लेकर चल रही है।" यह सोचते हुए आज सुबह ही लीना के कहे हुए शब्द अचानक से उसके कान में गूंज उठे - इन दोनों में मुझे अपना जीवन दिख रहा है, आपके साथ मैं कितनी खुश हूं। मैं भी उस चिड़िया के जैसे ही आपकों देख देख कर खुश होती रहती हूं।
यह बात याद आते ही रोहन का माथा ठनका। उसने पूरी घटना दिमाग में दोहराई तो उसने पाया कि आज सुबह तो वह चिड़ा उस चिड़िया पर प्यार जता रहा था लेकिन लीना ने कहा था कि मैं चिड़िया के जैसे ही आपको देखकर खुश होती हूं।
रोहन को अपने स्वभाव पर पहली बार ग्लानि हुई। वह सोचने लगा कि लीना तो चिड़िया की भांति मुझे देखकर खुश होती है पर मैंने कभी चिड़े की तरह उससे प्यार नहीं जताया।
इतना सोचते ही उसने गाड़ी वापस घुमायी और बाजार से होते हुए घर पहुंचा।
डोरबेल की आवाज सुनकर लीना ने दरवाजा खोला।
'अरे रोहन! आॅफिस से इतनी जल्दी कैसे?'
'लीना। मैं आॅफिस गया ही नहीं रस्ते से ही वापस आ रहा हूं।' लीना के हाथों में एक पैक की हुई गिफ्ट देते हुए रोहन ने कहा।
'यह क्या है?' लीना ने खुश होते हुए कहा।
खुद ही खोल कर देख लो।
'वाॅव!!! डायमंड सेट! यह मेरे लिए है?'
'हां मेरी जान! तुम्हारे लिए।'
'लेकिन आज तो कोई सालगिरह नहीं है?'
'तुम्हें गिफ्ट देने के लिए मुझे किसी दिन की जरूरत थोड़े ही है। यह तुम्हारे लिए है और हां आज दिन भर मैं तुम्हारे साथ ही हूं।' रोहन ने लीना के गालों पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
'अरे वाहहह! आज दिन भर तुम मेरे साथ हो! यह तो इस डायमंड सेट से भी बड़ा गिफ्ट है मेरे लिए।'
रोहन खुश था लीना को खुश देखकर। लीना खुश थी वास्तविक खुशी पाकर।
समाप्त !
- राम लखारा 'विपुल'
Wednesday, 8 June 2016
Sunday, 15 May 2016
Shayari for Talee (ताली शायरी) - 3
अक्सर Stage Anchoring, मंच संचालन या कोई कार्यक्रम में हमें ऐसी पंक्तियों अथवा शायरियों की आवश्यकता पड़ती है जिनमें तालियों की फरमाइश की जाती है। पिछले दिनों ऐसी दो शायरियां लिख पाया जो मैं इस ब्लाॅग पर अपने पाठकों के रसास्वादन हेतु प्रकाशित कर रहा हूूं-
बनों ऐसे महायोद्धा न जाए वार इक खाली
मुख से बोल प्यारे हो, न हो कोई गलत गाली
आंखे हो जिनसे सबके सद्गुण ही नजर आए
उठे तारीफ हेतु हाथ बजे ताली पे फिर ताली। - विपुल
भक्ति के भाव में रत मन भजन को छू लेता है
प्रेम के वश पतंगा लौ की अगन को छू लेता है
मिले साहस किसी को तारीफ की तालियों से तो
जमी से उठ के पत्थर भी गगन को छू लेता है। - विपुल
Read More Talee Shayari ताली शायरी
Part 1 Click Here
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बनों ऐसे महायोद्धा न जाए वार इक खाली
मुख से बोल प्यारे हो, न हो कोई गलत गाली
आंखे हो जिनसे सबके सद्गुण ही नजर आए
उठे तारीफ हेतु हाथ बजे ताली पे फिर ताली। - विपुल
भक्ति के भाव में रत मन भजन को छू लेता है
प्रेम के वश पतंगा लौ की अगन को छू लेता है
मिले साहस किसी को तारीफ की तालियों से तो
जमी से उठ के पत्थर भी गगन को छू लेता है। - विपुल
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Wednesday, 11 May 2016
तय मान लीजिए - घनाक्षरी छंद
Pic Courtesy- Google |
काली काली राते जब खाली खाली लागे जागे
नींद का हुआ व्यापार तय मान लीजिए।
बिन बात हंसने जो लग जाओ दिन रात
प्रेम के हुए बीमार तय मान लीजिए।
देख के प्रिय का भाल, लाल लाल होय गाल
प्रेम का चढा खुमार तय मान लीजिए।
अंग में उमंग का जो रंग चढ जाए तब
हो गया तुम्हें भी प्यार तय मान लीजिए।
- राम लखारा विपुल
Tuesday, 26 April 2016
Monday, 18 April 2016
Friday, 8 April 2016
हिन्दू नववर्ष 2073 की शुभकामनाएं
आज ईस्वी सन् का 8 अप्रैल है, वहीं एक साधारण सी तारीख। अप्रैल का आठवां दिन जो कल 9 हो जाएगा। लेकिन विक्रमी संवत् में आज एक खास तारीख है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत् 2073। जी हां इसी दिन को हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से नया वर्ष लगता है, और इस नव वर्ष का उत्सव केवल मानव नहीं बल्कि पूरा जगत मनाता है। कैसे? इस समय प्रकृति अपनी बांसती चुनर को ओढ रही होती है, जलवायु न गर्म होती है न शीत। पूरे भारतवर्ष में इसी दिन को हिन्दू नववर्ष, नवरात्रि प्रारंभ, चेटीचंड, गुड़ी पर्व अलग अलग रूप में मनाया जाता है। आप सभी मेरे प्रिय पाठकों को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की अनेकानेक शुभकामनाएं, आज के लिए मेरी एक छोटी कविता भी आपकों प्रस्तुत है-
यह साल नया कुछ ऐसा कर दे, जीवन में नित मौज रहे
खुशियों से झोली सबकी भरे , उमंग नवेली रोज रहे
हर रोज रहे पक्षी को पानी, रोज भूख को अन्न मिले
रोज ईद संग दीप जले और रोज होली के रंग मिले
मिले मानवता सजी धजी और बेटी का भी मान रहे
खेतीहरों की पीर मिटे और भारत भू जय गान रहे।
- राम लखारा विपुल
Wednesday, 30 March 2016
Tuesday, 8 March 2016
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस
आज 8 मार्च है अंतराष्ट्रीय महिला दिवस, साल का वह एकमात्र दिन जब सभी लोग महिलाओं के उत्थान की बात करते है। उसे पुरूष की सामंतवादी प्रभुत्वपूर्ण सोच से उबारने के तरीके सुझाते है और उसकी पैरोकारी करते है। हम सब जीवन के हर मोड़ पर हर पड़ाव पर कहीं न कही, किसी न किसी औरत से जुड़ाव में रहते है। चाहे वह मां हो, महबूबा हो, पत्नी हो या चाहे बेटी हो। हमारा उनसे जुड़ाव महज इसलिए नहीं होता कि प्रकृति ने हमें इसके लिए बाध्य किया है, बल्कि इसलिए भी कि हमें पग पग पर एक मजबूत हाथ की आवश्यकता होती है और कहना न होगा कि औरत की सहनशीलता, दृढता, स्नेह, सोच और सूझबूझ सबसे अलग है, विलक्षण है। औरत किसी पंगत का भोज नहीं है जिसे भाया जितना खाया और झूठा छोड़ दिया, वह पूजा की थाली का वह योग्य फूल है जो देवता को सबसे पहले समर्पित किया जाता है। हम सब इतना प्रण भी कर ले कि जो नारी हमसे जीवन में जुड़ी हुई है उसका सम्मान करेंगे और उसे समझने का प्रयत्न करंेगे तो हमारे हिस्से का महिला दिवस हम ईमानदारी से मना रहें होंगे।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर डॉ उर्मिलेश का एक दोहा याद आता है-
तितली,हिरणी,मोरनी,कोयल,बत्तख,मीन।
सृष्टि पिता की बेटियां कितनी शोख हसीन।।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर डॉ उर्मिलेश का एक दोहा याद आता है-
तितली,हिरणी,मोरनी,कोयल,बत्तख,मीन।
सृष्टि पिता की बेटियां कितनी शोख हसीन।।
Monday, 7 March 2016
महाशिवरात्रि पर्व
अनन्त में गूंजते स्वर का नाम है शिव। शिव वहीं जो सुंदर है, कल्याण मय और सत्य है। शिव वही जो विष पीता है। शिव वही जो जिसके सानिध्य में शत्रु भी मित्र हो जाते है, जैसे शिव के परिवार में चूहा, सर्प, मोर, सिंह परस्पर शत्रु होते हुए भी प्रेम भाव से साथ रहते है। देव बनना सरल है महादेव बनना दुष्कर, महादेव बनने के लिए जहर पीना पड़ता है और अमृत लुटाना पड़ता है। निर्माण और निर्वाण जिसके इशारों पर काम करते है वह शिव है। आज महाशिवरात्रि का पर्व आप सभी पाठकों और सुधिजनों के लिए मंगलकारी और शुभ हो। ऐसी मेरी शुभकामना है। आपके हृदय में शिव गूंजते रहे, बसते रहे और हंसते रहे।
Tuesday, 23 February 2016
Monday, 15 February 2016
Monday, 8 February 2016
Thursday, 21 January 2016
कोयल की व्यथा Hindi Kavita
Koyal Ki Vyatha
पिंजर में बंद कोयल की सुध लेगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?
गुण की थैली पूर्ण भरी
प्रशस्तियों की पोथी हो
निज प्रतिभा से जग में
चाहे वाहावाही होती हो
लेकिन पैरों में जब जंजीर गुलामी होती है
तब नरमी से तन मन के जख्म छुएगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?
कुछ आते है हाथ में लेके
तख्ती सत्य के दान की
कुछ लाते है हाथ में गोले
इच्छा ले पिंजर प्राण की
किंतु हाथ में ले समय का प्रतिदान पुराना
उसका दामन कर्मठता से पूर्ण भरेगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?
भर भर लोचन नीरों से
व्यथा गान आसान है
कठिन मगर जीवन में
धूमिल स्वप्न निर्माण है
पहली पंक्ति में आकर कंधे से मिलाकर कंधा
नव जीवन के सुन्दर नव स्वप्न बुनेगा कौन?
कूक की मीठी वाणी में दर्द सुनेगा कौन?
- राम लखारा 'विपुल'
Wednesday, 13 January 2016
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